The Basic Principles Of sidh kunjika
The Basic Principles Of sidh kunjika
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए इसका पाठ करें. जानते हैं सिद्ध कुंजिका पाठ की विधि और लाभ.
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
छठ की व्यापकता में पोखर तालाब से टूटता नाता
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
On chanting normally, Swamiji states, “The more we recite, the greater we hear, and the more website we attune ourselves towards the vibration of what's becoming said, then the greater we will inculcate that Mind-set. Our intention amplifies the Perspective.”
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।